महात्मा गांधी पर निबंध | Mahatma Gandhi essay in hindi

महात्मा गांधी किसी परिचय के मोहताज नहीं है, देश ही नहीं पूरी दुनिया के लोग भी उन्हें सत्य और अंहिसा के लिए जानते है। आज हम अपने इस निबंध में भी आपको महात्मा गांधी के जीवन के बारे में बताने जा रहे है। गांधी जी के जीवन की ऐसी बहुत सी बातें है, जिन्हें आज हम अपने जीवन में उतार सकते है। आइए आज महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi essay in hindi) में हम आपको महात्मा गांधी का जीवन परिचय (Mahatma Gandhi Biography in Hindi) के बारे में विस्तार से बताते है।

महात्मा गांधी पर निबंध | Mahatma Gandhi essay in hindi

महात्मा गांधी को आजादी के नायकों में से एक कहा जाता है। उन्होंने गुलामी के दौर में भी लोगों के दिलों में आजादी की अलख जगाई, ताकि लोग एकजुट हो सकें और अंग्रेजों के खिलाफ खड़े हो सकें। उनके इसी काम को आज भी लोग अपने जीवन में या बड़े बड़े आंदोलन में अपनाते है, ताकि उसे सफल बनाया जा सके। गांधी जी का पूरा जीवन आजादी की इसी लड़ाई में बीत गया। लेकिन अंतत: उन्होंने अंग्रेजों को देश से भगा कर ही दम लिया।

महात्मा गांधी का जीवन परिचय | Mahatma Gandhi Biography in Hindi

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था और उनकी माता का नाम पुतलीबाई था। उनकी माता पुतलीबाई पूजा पाठ में विश्वास करने वाली बेहद धार्मिक किस्म की महिला थी। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर जिले में हुआ था। उनके जन्मदिवस को हर साल गांधी जंयती के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी अपने माता-पिता की चौथी संतान थे। वो जब 13 वर्ष के थे तभी उनका विवाह कस्तूरबा गांधी के साथ कर दिया गया था। इनकी पत्नी बेहद साधारण स्वभाव की थी।

महात्मा गांधी एक संपन्न परिवार से थे, इसलिए उनके बचपन के दिनों में कभी भी उन्हें किसी तरह की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ा था। उनकी शिक्षा भी विदेश में रहकर पूरी हुई थी।

महात्मा गांधी का जीवन परिचय कम शब्दों मे

महात्मा गांधी का पूरा नाममोहनदास करमचंद गांधी
पिता का नामकरमचंद गांधी
माता का नामपुतलीबाई
पत्नी का नामकस्तूरबा गांधी
महात्मा गांधी का जन्म2 अक्टूबर 1869
महात्मा गांधी की संतानहरिलाल, मनिलाल, रामदास और देवदास
योगदानभारत की स्वतंत्रता, अहिंसक अन्दोलन, सत्याग्रह
महात्मा गाँधी की मृत्यु30 जनवरी 1948
मृत्यु स्थाननई दिल्ली
Mahatma Gandhi essay in hindi
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महात्मा गांधी की शिक्षा

महात्मा गांधी की शिक्षा बेहद ही उच्च किस्म की है। उस जमाने में बेहद चुनिंदा लोग ही उनके बराबर की शिक्षा हासिल कर सकते थे। उनकी शुरूआती शिक्षा गुजरात में ही पूरी हुई थी। इसके बाद वो आगे की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए। वहां उन्होंने बेरिस्टर की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वो इंग्लैंड चले गए और वकालत की पढ़ाई की।

महात्मा गांधी ने साल 1891 में वकालत की पढ़ाई पूरी की और भारत वापस लौट आए, क्योंकि वो हमेशा से अपने देश के लिए कुछ करना चाहते थे। इसके बाद उन्होंने वापिस आकर वकालत फिर से शुरू की, लेकिन संयोग वंश उन्हें भारत में वकालत के काम में कोई खास सफलता नहीं हाथ लगी।

इसके बाद वो एक खास केस लड़ने के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गए। अफ्रीका में जाकर उन्होंने देखा कि किस तरह से अंग्रेज भारतीयों पर अत्याचार करते है। बचपन से ही सुखी और संपन्न जीवन जीने वाले गांधी जी के लिए ये एकदम नया अनुभव था।

इस घटना ने उनके जीवन में गहरा प्रभाव छोड़ा। इसके बाद वो साल 1915 में अफ्रीका से भारत वापिस लौट आए, लेकिन इस बार वो यहां वकालत की बजाय आजादी की लड़ाई लड़ना चाहते थे क्योंकि अंग्रेजों ने भारत के लोगों और कामगारों पर जिस तरह का अत्याचार किया था, वो एकदम असहनीय था।

दक्षिण अफ्रीका में गांधी के द्वारा किए गए काम

भारत में भले ही गांधी जी एक संपन्न परिवार से थे। उन्होंने कभी गरीबी और अपमान नहीं देखा था, लेकिन गांधी जी जब अफ्रीका में गए तो रंगभेद से उनका सामना हुआ। रंगभेद का मतलब काले और भारतीय लोगों के साथ किया जाने वाला भेदभाव था।

गांधी जी जब अफ्रीका में फस्ट क्लास की एसी डिब्बे में टिकट लेकर चढ़े थे, तो भी उन्हें ट्रेन से नीचे उतार दिया गया था, क्योंकि वो भारतीय थे और काले थे। इतना ही नहीं उन्हें पैसे देने के बावजूद भी वहां के होटलों में नहीं घुसने दिया जाता था। यह एक तरह से भारतीयों का अपमान था।

इसी से आहत होकर उन्होंने इस अपमान के खिलाफ आवाज उठाने की ठानी, जिसके लिए दक्षिण अफ्रीका में ही उन्होंने भारतीय लोगों को एकजुट किया और 6 नवंबर 1913 को ‘द ग्रेट मार्च’ नाम से आंदोलन छेड़ा। जिसका मकसद भारतीय लोगों के प्रति भेदभाव को समाप्त करना था, लेकिन उनका ये आंदोलन सफल नहीं हुआ। वहां की सरकार ने गांधी जी और उनके साथ आंदोलन कर रहे लोगों को हिरासत में ले लिया, जिससे यह आंदोलन दब गया।

     लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। इसके बाद फिर से एक लड़ाई छेड़ी। जिसमें उनकी जीत भी हुई। 7 सालों तक चली इस लड़ाई की बदौलत अफ्रीका की सरकार संसद में ‘भारतीय राहत विधेयक’ लेकर आई। जिसके बाद वहां रह रहे भारतीयों को वोट देने का आधिकार दिया गया। उनके प्रति हो रहे भेदभाव को समाप्त किया गया। इस विधेयक के बाद वहां रह रहे भारतीय और श्वेत लोगों को बराबर अधिकार मिले।

भारत में महात्मा गांधी की वापसी

 महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से साल 1915 में भारत वापिस आ गए। यहां आकर भी उन्होंने अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद रखा, क्योंकि भारत में उन्हें लोगों का भी भरपूर साथ मिला। जिसका नतीजा ये हुआ कि अंग्रेजों को भारत से जाना पड़ा।

अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए उन्होंने सत्य और अंहिसा के रास्ते पर चलकर कई बड़े आंदोलन किए। इन आंदोलनों को मजबूती देने के लिए वो कांग्रेस में शामिल हो गए। आइए अब आपको उनके सभी आंदोलन के बारे में बताते है:

चंपारण सत्याग्रह आंदोलन

चंपारण आंदोलन गांधी जी का भारत आने के बाद पहला आंदोलन कहा जाता है। ये आंदोलन साल 1917 में शुरू हुआ था। ये आंदोलन बिहार के चंपारण जिले में हुआ था, जिसका मकसद किसानों को उनका हक दिलाना था क्योंकि उस दौरान अंग्रेज किसानों की जमीन पर कब्जा कर लिया करते थे और उनसे जबरन नील की खेती करवाया करते थे।

 साथ ही जब नील की खेती पूरी तरह से तैयार हो जाती, तो उन्हें पूरा भुगतान भी नहीं किया जाता था। यदि कोई किसान इसके बारे में अंग्रेजों से सवाल जवाब करता तो उसे डराया धमकाया जाता था। इससे परेशान होकर किसानों ने गांधी जी को एक बार पत्र लिखा और गांधी जी से हस्तक्षेप करने की मांग की। गांधी जी ने इस पत्र पर संज्ञान लेते हुए एक आंदोलन शुरू किया। जिसके आगे अंग्रेजों को झुकना पड़ा और किसानों की सभी मांगों को मानना पड़ा।

खेड़ा आंदोलन

खेड़ा आंदोलन भी किसानों के लिए किया गया था। यह आंदोलन गुजरात में किया गया था। यह आंदोलन साल 1918 में किया गया था, क्योंकि उस साल गुजरात में बाढ़ आने से किसानों की सारी फसल तबाह हो गई थी।

इसके बावजूद भी अंग्रेज किसानों से टैक्स वसूले जा रहे थे, जबकि बाढ़ से हुए नुकसान के चलते किसानों के पास खाने तक को अनाज नहीं बचा था। उनकी इसी परेशानी को देखते हुए गांधी जी ने खेड़ा आंदोलन चलाया। जिसका नतीजा ये रहा कि अंग्रेजों को किसानों का सारा कर्ज माफ करना पड़ा।

असहयोग आंदोलन

वो साल 1919 ही था जब जलियांवाला बाग में जनरल डायर के कहने मात्र से हजारों लोगों की भीड़ पर गोलियां चलवा दी गई थी। इस दिन बैसाखी का पर्व था, जिसमें एक साथ हजारों लोगों की भीड़ जमा थी। इसी से परेशान होकर गांधी जी ने असहयोग आंदोलन खड़ा किया, क्योंकि अब अंग्रेजों का अत्याचार इस हद तक बढ़ चुका था कि वो निर्दोष लोगों की जान तक लेने पर अमादा थे।

   असहयोग आंदोलन का मकसद अंग्रेजों को भारत से भगाना था। उन्हें भगाने के लिए असहयोग आंदोलन से उनको आर्थिक नुकसान पहुंचाने की योजना थी, इसलिए इस आंदोलन के माध्यम से विदेशी चीजों का बहिष्कार, स्वदेशी खादी के बने कपड़े पहने जाने लगे।

अंग्रेजों के स्कूल, कालेज का बहिष्कार होने लगा। जज और वकील अदालतों से काम छोड़ने लगे। इसने अंग्रेजों को काफी नुकसान पहुंचाया, लेकिन उसी दौरान चौरा-चौरी की अप्रिय घटना हुई। जिससे गांधी जी बेहद आहत हो गए। इस घटना के चलते ही गांधी जी ने अपना असहयोग आंदोलन वापिस ले लिया। जिससे ये आंदोलन एक तरह से असफल हो गया, लेकिन इस आंदोलन के चलते गांधी जी को छह साल जेल में बिताने पड़े।

सविनय अवज्ञा आंदोलन

सविनय अवज्ञा आंदोलन साल 1930 में शुरू किया गया था, जिसे बहुत से लोग डांडी यात्रा के नाम से भी जानते है। इस आंदोलन में गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अपने 78 अनुयायियों के साथ डांडी से पदयात्रा शुरू की थी।

ये पदयात्रा जिन भी रास्तों से गुजरती लोग इसका भरपूर स्वागत करते। जिससे सभी अनुयायियों का मनोबल बढ़ता। इस पदयात्रा के खास उद्देश्य थे जिससे प्रभावित होकर लोग कांग्रेस से जुड़ते गए साथ ही बहुत से लोगों ने अपने सरकारी पदों से इस्तीफा भी दे दिया ताकि अंग्रेज सरकार पर दबाव बनाया जा सके। इस पदयात्रा के उद्देश्य:-

सरकार को टैक्स ना दिया जाए।

● देश के हर गांव गांव में नमक कानून तोड़ा जाए।

● घरेलू महिलाएं शराब और विदेशी सामानों की दुकानों का घेराव कर उन्हें बंद करवाएं।

● स्कूल कालेज और सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले लोग वहां जाना बंद कर दें या छोड़ दें।

● विदेशी वस्त्रों को जलाने के साथ स्वदेशी वस्त्रों को अपनाया जाए।

   समय के साथ ये आंदोलन मजबूत और विस्तृत होता गया। जिसके चलते गांव की महिलाएं सरकारी और शराब की दुकानों का घेराव करने लगी, ताकि उनका संचालन बंद हो सके। लोग विदेशी वस्त्रों और स्कूल, कालेजों का बहिष्कार करने लगे। स्वदेशी वस्तुओं का चलन शुरू हो गया।

अंग्रेज इस आंदोलन को खत्म करने के लिए लाठी चार्ज करवाते, ताकि लोग इसमें शामिल ना हो। लेकिन देशभाक्ति की एक मिसाल ये भी थी कि 25 अप्रैल 1930 को चंद्रसिंह गढ़वाली के नेतृत्व में जब अंग्रेजों ने भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दिया, तो सेना ने इससे साफ मना कर दिया। जिसके बाद सैनिकों को यातनाएं भी दी गई। देश प्रेम की ये कहानी जैसे जैसे लोगों तक पहुंचती गई, लोग इस आंदोलन के साथ और ज्यादा गहराई से जुड़ते चले गए।

भारत छोड़ो आंदोलन

8 अगस्त 1942 को शुरू हुआ यह आंदोलन अंग्रेजों को भारत से निकालकर ही अंत हुआ। इस आंदोलन की भी शुरूआत गांधी जी ने ही की थी। इसकी औपचारिक घोषणा कांग्रेस के मुंबई आधिवेशन के दौरान की गई थी क्योंकि इस दौरान दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था, जिसमें अंग्रेज काफी व्यस्त और कमजोर साबित हो रहे थे।

साथ ही वो चाहते थे कि भारतीय लोग उनका इस युद्ध में साथ दें। इसी को देखते हुए भारत में बड़े पैमाने पर ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ शुरू हुआ। जिसके बाद 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों को भारत छोड़ कर जाना पड़ा।

महात्मा गांधी की पुस्तकें

गांधी जी ने अपने जीवन में जो कुछ भी किया उसका वर्णन भी खुद ही किया है क्योंकि वो एक लेखक भी थे। जिसकी वजह से उन्होंने अपने जीवन में कई किताबें भी लिखी। जो कि आज बेहद मशहूर है।

● सत्य के प्रयोग।

● दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए उन्होंने सत्याग्रह, हिंद स्वराज पुस्तक लिखी।

● इसके अलावा उन्होंने अपने जीवन में कई लेख और समाचारपत्रों का संपादन भी किया।

महात्मा गांधी को मिले पुरस्कार

साल 1930 मशहूर पत्रिका टाइम मैगजीन की तरफ से उन्हें ‘मैन आफ द ईयर’ चुना गया।

● साल 2011 में फिर से टाइम मैगजीन ने उन्हें विश्व के 25 सबसे प्रेरणा स्त्रोत व्यक्तियों में चुना।

● भारत सरकार हर साल लोगों को ‘गांधी शांति पुरस्कार’ देती है। ये पुरस्कार नेताओं, सामाजिक क्षेत्र से जुड़े लोगों और आम नागरिकों को दिया जा सकता है। ये भी गांधी जी के सम्मान का प्रतीक है।

महात्मा गांधी की मृत्यु

देश की आजादी के बाद गांधी जी लंबे समय तक देश का साथ नहीं दे पाए। 30 जनवरी 1948 को गांधी जी को नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। वो उस दौरान मंदिर से आ रहे थे। तभी गोडसे ने घात लगाकर उनकी हत्या कर दी।

महात्मा गांधी से संबंधित कुछ लोकप्रिय प्रश्न और उत्तर – FAQ

प्रश्न: महात्मा गांधी जी की उम्र कितनी थी?

उत्तर: महात्मा गांधी जी की उम्र 78 वर्ष थी (1869–1948)

प्रश्न: महात्मा गांधी जी के कितने बच्चे थे?

उत्तर: गांधी जी के 4 बेटे थे, हरीलाल गांधी, रामदास गांधी, देवदास गांधी और मनीलाल गांधी।

प्रश्न: गांधी जी का जन्म कब हुआ?

उत्तर: गांधी जी का जन्म 2 October 1869 हुआ।

प्रश्न: गांधी जी के पिता का नाम क्या नाम था?

उत्तर: गांधी जी के पिता का नाम करमचंद गांधी था।

प्रश्न: गांधी जी का पूरा नाम क्या था?

उत्तर: गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

प्रश्न: गांधी जी की माता का नाम क्या था?

उत्तर: गांधी जी माता का नाम पुतलीबाई था।

प्रश्न: गांधी जी की मृत्यु कब हुई?

उत्तर: गांधी जी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली मे हुई।

प्रश्न: गांधी जी की पत्नी का नाम क्या था?

उत्तर: गांधी जी की पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी था।

प्रश्न: गांधी जी का जन्म किस गांव में हुआ था?

उत्तर: गांधी जी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।

प्रश्न: महात्मा गांधी जी पहली बार जेल कब गए थे?

उत्तर: दस अप्रैल 1919 

निष्कर्ष

महात्मा गांधी के जीवन से हमें यही सीख मिलती है कि यदि कोई अकेला व्यक्ति भी संकल्प ले ले तो उसे भी पूरा कर सकता है। बस जरूरी है उसमें धैर्य और संकल्प की भावना हो। गांधी जी के जीवन से हमें ये भी सीख मिलती है कि सत्य और अंहिसा के रास्ते पर चलकर बड़ी से बड़ी लड़ाई भी जीती जा सकती है। इसलिए आज के युवाओं को गांधी जी की कही गई बातों को अपने जीवन में उतारनी चाहिए। ताकि गांधी जी के सपनों का भारत बन सके।

तो दोस्तो बताइये आपको महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi essay in hindi) कैसा लगा हम ने निबंध के साथ मे महात्मा गांधी का जीवन परिचय (Mahatma Gandhi Biography in Hindi) भी बताने की कोशिश की है, यदि आपको ये लेख पसंद आया तो कमेंट करे और अपने दोस्तो को शेर भी करे।

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